फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. यह दिन शिव भक्तों के लिए बेहद खास होता है. इस साल महाशिवरात्रि 26 फरवरी को है. माना जाता है कि भोलेनाथ बहुत सरल हैं और एक लोटा जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं. वहीं, महादेव को कुछ फूल भी बहुत प्रिय हैं, लेकिन शास्त्रों में कुछ ऐसे फूल बताए गए हैं जो शिव शंकर को भूलकर भी नहीं चढ़ाने चाहिए.

भगवान विष्णु ने मानी शिव के सामने हार उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज ने बताया कि शिव पुराण के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा के बीच विवाद हुआ कि इनमें से सर्वश्रेष्ठ कौन है. विवाद इतना बढ़ गया कि बात भगवान शिव तक पहुंची, तब भोलेनाथ ने एक शिवलिंग की उत्पत्ति की और कहा कि जो इसका आदि और अंत खोज लेगा, वह सर्वश्रेष्ठ कहलाएगा. ऐसे में भगवान विष्णु ऊपर की ओर और ब्रह्मा जी नीचे की ओर बढ़ने लगे. बहुत खोजने के बाद जब भगवान विष्णु को शिवलिंग का अंत नहीं मिला, तो उन्होंने हार मान ली और भगवान शिव के आगे अपनी भूल स्वीकार की.

भगवान ब्रह्मा ने शिव से बोला झूठ
भगवान विष्णु के हार मानने के बाद ब्रह्मा जी शिव शंकर के पास पहुंचे. लाख कोशिशों के बाद भी ब्रह्मा जी को इस ज्योतिर्लिंग का अंत नहीं मिला, तो रास्ते में उन्हें केतकी का फूल मिला. ब्रह्मा जी ने उसे बहला-फुसलाकर झूठ बोलने के लिए मना लिया.

शिव शंकर ने दिया केतकी के फूल को श्राप
इसके बाद ब्रह्मा जी के कहने पर केतकी भगवान शिव शंकर के पास ब्रह्मा जी के साथ पहुंची. ब्रह्मा जी ने भगवान शिव से कहा कि उन्होंने अंत ढूंढ लिया है और इसका सबूत यह केतकी का फूल है. भगवान शिव को पता था कि वे झूठ बोल रहे हैं. केतकी के फूल के झूठ बोलने के बाद भगवान शिव ने क्रोधित होकर ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया और केतकी के फूल को श्राप दिया कि उसका इस्तेमाल उनकी किसी भी पूजा में नहीं किया जाएगा, इसलिए भगवान शिव की पूजा में केतकी का फूल वर्जित है.