उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में बांगरमऊ के पास स्थित बोधेश्वर महादेव मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. इस मंदिर का इतिहास और उससे जुड़ी कथा बहुत ही रोचक और प्रेरणादायक है. इस मंदिर में असाध्‍य रोगों से पीड़‍ित श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. यही नहीं मंदिर की महिमा इतनी है कि दूर-दूर से भक्‍त यहां शिव के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. कहा जाता है कि यहां आधी रात को दर्जनों सांप शिवलिंग को स्पर्श करने आते हैं, लेकिन किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते. भक्तों का मानना है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है.

कैसे स्थापित हुआ शिवलिंग
कहा जाता है कि बहुत समय पहले नेवल नामक राज्य के एक राजा थे जो भगवान शिव के परम भक्त थे. एक रात उन्हें स्वप्न में भगवान शिव ने दर्शन दिए और उन्हें पंचमुखी शिवलिंग, नंदी और नवग्रह स्थापित करने का आदेश दिया. राजा ने अगले ही दिन भगवान शिव के आदेश का पालन करते हुए पंचमुखी शिवलिंग, नंदी और नवग्रह का निर्माण शुरू करवाया. जब यह कार्य पूरा हो गया तो राजा ने इन सभी को रथ में रखकर अपनी राजधानी की ओर प्रस्थान किया.

ऐसे हुआ मंदिर का निर्माण
जैसे ही रथ राजधानी में प्रवेश करने लगा अचानक वह जमीन में धंसने लगा. राजा और उनके सैनिक बहुत कोशिश करने के बाद भी रथ को निकालने में असफल रहे. तब राजा को समझ में आया कि भगवान शिव की यही इच्छा है कि इन सभी की स्थापना इसी स्थान पर की जाए. उन्होंने तत्काल ही उस स्थान पर पंचमुखी शिवलिंग, नंदी और नवग्रह की स्थापना करवा दी और वहां एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया.

भगवान शिव ने स्वयं राजा को इस कार्य का बोध कराया था इसलिए इस मंदिर का नाम बोधेश्वर महादेव मंदिर रखा गया. इस मंदिर में स्थापित पंचमुखी शिवलिंग के पत्थर के बारे में कहा जाता है कि यह पत्थर दुर्लभ है और 400 साल पहले विलुप्त हो चुका है. अब धरती पर यह पत्थर नहीं मिलते हैं. वहीं नंदी और नवग्रह में जो पत्थर लगे हैं उन पर पाषाण काल की पच्चीकारी की गई है जो अपने आप में अद्भुत है.

बोधेश्वर महादेव मंदिर में हर साल हजारों भक्त भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं. यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है.

दर्जनों सांप करते हैं शिवलिंग को स्पर्श
इस मंदिर से जुड़ी एक और अद्भुत कथा है. यहां आधी रात में दर्जनों सांप शिवलिंग को स्पर्श करने आते हैं. बताया जाता है कि पंचमुखी शिवलिंग को स्पर्श करने के बाद सांप वापस जंगल में लौट जाते हैं. हैरानी की बात यह है कि इतने सांपों के आने के बाद भी किसी स्थानीय नागरिक को कोई क्षति नहीं पहुंची है. यह घटना अपने आप में एक रहस्य है जिसे देखकर हर कोई चकित रह जाता है.

असाध्य रोग होते हैं दूर
बोधेश्वर महादेव मंदिर न केवल अपनी रहस्यमयी घटनाओं के लिए प्रसिद्ध है बल्कि यह असाध्य रोगों से पीड़ित श्रद्धालुओं के लिए भी आशा की किरण है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी बीमारियों से मुक्ति पाने की कामना लेकर आते हैं. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि भोलेनाथ की कृपा से कई लोगों की मुरादें पूरी हुई हैं और उन्हें रोगों से मुक्ति मिली है.