रहस्यमयी है बिलासपुर का यह महादेव मंदिर, पाताल लोक में समा जाता है शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल
छत्तीसगढ़ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां के प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. शिवरात्रि के पावन अवसर पर शिव भक्त भगवान भोलेनाथ के मंदिरों में जलाभिषेक कर अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं. लेकिन, क्या आपने कभी किसी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है, जहां शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल रहस्यमयी रूप से अदृश्य हो जाता है?
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के मल्हार में स्थित पातालेश्वर (केदारेश्वर) महादेव मंदिर एक ऐसा ही अद्भुत स्थान है. यह मंदिर अपनी रहस्यमयी मान्यताओं के लिए जाना जाता है, जिससे श्रद्धालु और शोधकर्ता दोनों ही आकर्षित होते हैं.
शिवलिंग पर चढ़ाया जल कहां जाता है?
इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल कहीं नजर नहीं आता है बल्कि वह सीधे पाताल लोक में समा जाता है. इसको लेकर कई धार्मिक और वैज्ञानिक धारणाएं प्रचलित हैं, लेकिन इसका रहस्य आज भी अनसुलझा है.
ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थल है मल्हार
मल्हार, जो बिलासपुर शहर से लगभग 32 किलोमीटर दूर स्थित है, ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह स्थान कई प्राचीन मंदिरों, मूर्तियों और ऐतिहासिक संरचनाओं का घर है, जो इसकी समृद्ध संस्कृति और वास्तुकला की झलक दिखाते हैं.
कल्चुरी काल में हुआ था निर्माण
पातालेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कल्चुरी काल (10वीं से 13वीं सदी) में हुआ था. इसे सोमराज नामक ब्राह्मण ने करवाया था. यह मंदिर ना केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि स्थापत्य कला का भी उत्कृष्ट उदाहरण है.
आस्था और श्रद्धा का केंद्र है मंदिर
यह मंदिर शिवभक्तों के लिए गहरी आस्था का केंद्र है. विशेष रूप से सावन और महाशिवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. भक्त यहां आकर जलाभिषेक करते हैं और भोलेनाथ से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. पातालेश्वर महादेव मंदिर ना केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह रहस्यमयी घटनाओं और ऐतिहासिक धरोहरों का संगम भी है. यहां आने वाले श्रद्धालु इसकी अनोखी विशेषताओं को देखकर अचंभित रह जाते हैं. अगर आप छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहरों को करीब से देखना चाहते हैं, तो यह मंदिर आपके लिए एक अद्भुत.