चेन्नई। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत तीन भाषा मुद्दे को लेकर राजग के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और तमिलनाडु सरकार के बीच जारी विवाद के बीच मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मंगलवार को कहा कि प्रदेश एक और भाषा की लड़ाई को लेकर तैयार है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश पर हिंदी थोपकर केंद्र भाषा युद्ध के बीज बो रही है और इस भाषा के वर्चस्व की अनुमति नहीं दी जाएगी।

प्रदेश किसी भाषा के विरुद्ध नहीं- डीएमके
डीएमके अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश किसी भाषा के विरुद्ध नहीं है और अगर कोई विशेष भाषा सीखना चाहता है तो उसके बीच में नहीं आएगा, लेकिन वे किसी अन्य भाषा को हावी होने और मातृभाषा तमिल को नष्ट करने की अनुमति ना देने के लिए भी दृढ़ हैं। यही कारण है कि हम द्विभाषी (तमिल और अंग्रेजी) का पालन कर रहे हैं।

मातृभाषा की रक्षा डीएमके के खून में
पड़ोसी राज्यों समेत देश के कई प्रदेशों ने तमिलनाडु द्वारा अपनाए गए रास्ते और दृढ़ रुख को महसूस करने के साथ अपनी चिंताएं जाहिर करना शुरू कर दिया है। हिंदी के वर्चस्व के खिलाफ संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक कि इसे समाप्त नहीं कर दिया जाता। मातृभाषा की रक्षा डीएमके के खून में है और मेरी जिंदगी के अंत तक कम नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि संसद में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), केंद्रीय फंड और नीट जैसे मुद्दों पर आवाज उठाने के लिए पर्याप्त संख्या में सांसदों की आवश्यकता है। इस वजह से लोकसभा के परिसीमन के मुद्दे को लेकर आगामी 5 मार्च को एक सर्वदलीय बैठक बुलाने का निर्णय लिया गया है, जिसमें सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया जाएगा। उन्होंने राजनीतिक मतभेद भुलाकर सभी से दलों से एकजुटता दिखाने की अपील की।

सीएम स्टालिन ने कही ये बात
स्टालिन ने कहा, ''परिसीमन के नाम पर दक्षिणी राज्यों पर तलवार लटक रही है। तमिलनाडु सभी विकास सूचकांक में अग्रणी था, जनसंख्या नियंत्रण के लिए सफलतापूर्वक परिवार नियोजन कार्यक्रम लागू करने के बावजूद आठ सीटें खोने का खतरा मंडरा रहा है। परिसीमन के बाद सीटें कम हो सकती हैं क्योंकि इसका आधार राज्यों की जनसंख्या है। हमारे केवल 31 सांसद ही बचेंगे, जबकि वर्तमान में 39 सांसद हैं। संसद में हमारा प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा। यह तमिलनाडु के अधिकारों का मामला है। सभी राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर पार्टी लाइन से हटकर एकजुट होते हुए आवाज उठानी चाहिए।''

डीएमके की छात्र इकाई ने प्रदेश में बड़ा प्रदर्शन
वहीं, इसे लेकर मंगलवार को डीएमके की छात्र इकाई ने प्रदेश में बड़ा प्रदर्शन किया। जबकि अभिनेत्री से नेता बनीं रंजना नचियार ने इस मुद्दे को लेकर मंगलवार को भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। एआइएडीएमके सांसद एम थंबीदुरई ने चुनाव से पहले इसे डीएमके की राजनीतिक चाल बताया।