AIMSA द्वारा भारत के सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका 21 मई को ही होगी नीट परीक्षा
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नेशनल एलिजिबिलिटी-कम-एंट्रेंस टेस्ट फॉर पोस्टग्रेजुएट 2022 को स्थगित करने से साफ इनकार कर दिया है। गौरतलब है कि नीट परीक्षा 21 मई को होनी है और इस परीक्षा को स्थगित करने के लिए डॉक्टरों के एक समूह द्वारा दायर की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे उन हजारों छात्रों पर असर पड़ेगा, जिन्होंने परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया है और अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए भी परीक्षा को स्थगित नहीं किया जा सकता है। गौरतलब है कि मेडिकल परीक्षार्थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया और केंद्र सरकार से NEET PG 2022 परीक्षा को कुछ हफ्तों के लिए स्थगित करने के लिए लंबे समय से अभियान चला रहे हैं। परीक्षा को आगे बढ़ाने के लिए छात्र सोशल मीडिया भी कैम्पैन चला रहे थे।
परीक्षा शेड्यूल में नहीं होगा बदलाव
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में याचिका खारिज करते हुए साफ कहा है कि परीक्षा शेड्यूल में कोई बदलाव नहीं किया गया है, इसलिए अब परीक्षा 21 मई को ही आयोजित की जाएगी और एडमिट कार्ड 16 मई, 2022 को जारी किए जाएंगे। परीक्षा का परिणाम जून 2022 तक जारी किया जा सकता है।
4 मई को सुप्रीम कोर्ट गया था छात्र संगठन
ऑल इंडिया मेडिकल स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AIMSA) द्वारा 4 मई को भारत के सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें स्नातकोत्तर के लिए राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (NEET PG 2022) को स्थगित करने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता संदीप एस तिवारी ने याचिका दायर करने के बाद ट्वीट किया कि ऑल इंडिया मेडिकल स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AIMSA) की ओर से हमने 21 मई 2022 को NEET PG 2022 की निर्धारित परीक्षा के खिलाफ भारत के सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है।
परीक्षार्थियों ने उठाई थी कई याचिकाएं
उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी कई शिकायतें उठाई हैं। NEET PG 2021 के लिए चल रही काउंसलिंग में तारीखों के टकराव का मामला भी उठाया था।, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सभी दलीलों को खारिज कर दिया। गौरतलब है कि कई छात्रों के साथ-साथ डॉक्टर भी परीक्षा का विरोध कर रहे थे और परीक्षा स्थगित करने की मांग कर रहे थे, ताकि छात्रों को इसकी तैयारी के लिए समय मिल सके। IMA ने सरकार से इसे स्थगित करने का भी अनुरोध किया और छात्रों और डॉक्टरों ने भी प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर मामले को देखने और इसे स्थगित करने का आदेश दिया।