दुग्ध उत्पादकों में उचित दाम नहीं मिलने से असंतोष
भोपाल । दूध के उचित दाम नहीं मिलने से प्रदेश के लाखों की संख्या में दुग्ध उत्पादक किसानों में लंबे समय से असंतोष व्याप्त है। प्रदेश के ऐसे ही दुग्ध उत्पादक किसान संयुक्त किसान मोर्चा से मिलकर आंदोलन करने की रणनीति बनाएंगे। प्रदेश के दुग्ध उत्पादक किसानों को बड़ा धड़ा सहकारी संघों में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनदेखियों से परेशान हो गया है। अब ये संयुक्त किसान मोर्चा के संपर्क में हैं और अपनी परेशानी मोर्चा से साझा करने की कवायद करने लगे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने ही बीते दिनों राष्ट्रव्यापी आंदोलन का नेतृत्व किया है। अब मप्र के किसान मोर्चा के जरिए दूध से जुड़े कारोबार को प्रमुखता से उठाने पर जोर दे रहे हैं। दुग्ध उत्पादकों का तर्क है कि उन्हें प्रदेश के सहकारी दुग्ध संघों द्वारा उचित दाम नहीं दिया जा रहा है। लागत के अनुरूप दाम नहीं मिलने से मवेशियों की खुराक कम करनी पड़ रही है। इससे मवेशियों की सेहत गिरती जा रही है। पशु आहार के दाम लगातार कहने के बावजूद कम नहीं किए जा रहे हैं। इसकी वजह से कई किसान पशुआहार की बजाय दूसरा चारा खिला रहे हैं, जिसकी वजह से पशुओं में दूध देने की क्षमता कम होती जा रही है। दुग्ध खरीदी केंद्रों में कई बार अच्छे दूध का भी फैट कम कर दिया जाता है, जिसकी वजह से कीमत कम मिलती है। कुछ केंद्रों में मनमानियां चल रही हैं, जिसे रोकने में दुग्ध संघ प्रबंधन ध्यान नहीं दे पा रहा हे। सबसे बड़ी समस्या दाम की है। दुग्ध उत्पादकों को प्रतिनिधिमंडल इन समस्याओं को लेकर प्रबंधन से मिलता रहा है। बीते दिनों ही दुग्ध महासंध के एमडी शमीमउद्दीन से मुलाकात की थी। इसमें कई खरीदी केंद्रों के अध्यक्ष, सचिव और दूध बेचने किसान शामिल थे। इन्होंने एमडी को बताया था कि उन्हें दूसरे दुग्ध संघों की तुलना में दूध के बिक्री दाम कम मिल रहे हैं। महंगाई में दूध का उत्पादन करना मुश्किल हो गया है। एक लीटर दूध पर तीन से चार रूपये का घाटा हो रहा है। वहीं निजी कंपनियों द्वारा अधिक दाम दिए जा रहे हैं, लेकिन वे स्थाई रूप से दूध की खरीदी नहीं करते हैं इसलिए दिक्कतें होती हैं। किसान ईश्वर सिंह, सेवकराम, शंभुदयाल सिंह व अन्य का कहना है कि वे संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधियों से संपर्क में हैं और जल्द ही पूरा मामला रखेंगे। जरूरत पड़ी तो दुग्ध संघों के सामने सभी समस्याओं को लेकर प्रदर्शन भी किया जाएगा। इस आंदोलन में उन्हें संयुक्त किसान का पूरा साथ मिलने की उम्मीद है। दुग्ध संघ प्रबंधनों द्वारा आम किसानों की बात पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यह आरोप किसानों का है।