मालदीव में स्थित भारतीय राजदूत ने मालदीव सरकार की एक टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी है। दरअसल, 11 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मालदीव सरकार ने भारतीय एएलएच प्लेटफॉर्म द्वारा अनाधिकृत लैंडिंग का जिक्र किया था। प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय दूतावास ने कहा कि मालदीव में भारतीय विमानन प्लेटफॉर्म ने हमेशा प्रक्रियाओं और उचित तरीकों का समर्थन किया है। भारतीय विमानन प्लेटफॉर्म ने हमेशा एमएनडीएफ से स्वीकृति ली है। 

दूतावास ने आगे कहा कि प्रेस वार्ता में जिस 9 अक्तूबर 2019 की उड़ान का जिक्र किया गया था, वह भी एमएनडीएफ से स्वीकृत थी। अप्रत्याशित कारणों के वजह से थिमाराफुशी में आपातकालीन लैंडिंग आवश्यक हो गई थी। प्लेटफॉर्म और चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एटीसी से आवश्यक जमीनी मंजूरी लेने के बाद ही लैंडिंग की गई थी।   

भारतीय सैन्य कर्मियों ने छोड़ा मालदीव

मालदीव के विदेश मंत्री ने बताया कि 76 भारतीय सैन्य कर्मियों की जगह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के नागरिक कर्मचारियों ने ली है। विदेश मंत्री मूसा जमीर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि सात से नौ मार्च के बीच गन से 26 सैनिकों को वापस बुलाया गया। हनीमाधू से सात से 19 अप्रैल के बीच, 25 सैनिकों को वापस बुलाया गया तो वहीं, कधधू से मंगलवार को 12 और गुरुवार को अंतिम 13 सैनिकों को वापस बुला लिया गया। गौरतलब है कि मालदीव की सरकार ने इससे पहले बताया था कि दो हेलीकॉप्टर और एक जहाज के रखरखाव के लिए मालदीव में 89 भरतीय सैनिक हैं। जमीर ने बताया कि अभी जिन्होंने सैनिकों की जगह ली है, वे नागरिक कर्मचारी हैं। इन्होंने ही इसका निर्माण किया है। 

मालदीव हमारी सेना को क्यों हटाई? 

पिछले साल सितंबर में मालदीव में हुए आम चुनाव के दौरान मुइज्जू की पार्टी ने भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए चुनाव में 'इंडिया आउट' अभियान चलाया था। मुइज्जू ने चुनाव में 'इंडिया आउट' लिखी टी शर्ट पहन कर चुनाव प्रचार किया था। उनका चुनावी वादा था कि अगर चुनाव में जीते तो भारतीय सैनिकों को मालदीव छोड़कर जाने को कहा जाएगा। चीन समर्थक मुइज्जू ने राष्ट्रपति का पदभार संभालने के दूसरे दिन ही आधिकारिक तौर पर भारत सरकार से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का अनुरोध किया था। मालदीव ने 10 मई तक की समयसीमा निर्धारित की थी।