हैदराबाद  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बसंत पंचमी के मौके पर हैदराबाद पहुंचे। यहां प्रधानमंत्री वैष्णव संत रामानुजाचार्य स्वामी की प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी' देश को समर्पित किया। इस प्रतिमा को करीब 1000 करोड़ रुपए की लागत से बने रामानुजाचार्य मंदिर में स्थापित किया गया है।

लोकार्पण के बाद मोदी ने कहा- रामानुजाचार्य जी ने जाति भेद खत्म करने के लिए काम किया। मोदी ने श्लोक सुनाया- न जाति ही कारणं, लोके गुणा कल्याण हेतवा यानी संसार में जाति से नहीं, गुणों से कल्याण होता है। उन्होंने कहा- रामानुजाचार्य जी ने यादव गिरी पर नारायण मंदिर बनवाया और उसमें दलितों को पूजा का अधिकार देकर समानता का संदेश दिया था। समाज में जो बुराई से लड़ते हैं , जो समाज को सुधारते हैं। समाज में उन्हें इज्जत मिलती है। समाज में जिनके साथ भेदभाव होता था, उसके लिए उन्होंने काम किया। रामानुजाचार्य जी ने छुआछूत को मिटाने के लिए कई प्रयास किए।

जिन्हें सदियों तक प्रताड़ित किया, वे अब विकास में भागीदार

आज रामानुजाचार्य जी विशाल मूर्ति Statue of Equality के रूप में हमें समानता का संदेश दे रही है। इसी संदेश को लेकर आज देश ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास’ के मंत्र के साथ अपने नए भविष्य की नींव रख रहा है। विकास हो, सबका हो, बिना भेदभाव हो। जिन्हें सदियों तक प्रताड़ित किया गया, वो पूरी गरिमा के साथ विकास के भागीदार बनें, इसके लिए आज का बदलता हुआ भारत, एकजुट प्रयास कर रहा।

रामानुजाचार्य जी ने संस्कृत और तामिल दोनों को महत्व दिया

गुरु के माध्यम से ज्ञान की प्राप्ति होती है। 108 गुरुओं से जितना ज्ञान मिलता है, उतना मुझे रामनानुजचार्य जी के यहां आने से मिल गया। दुनिया की अधिकांश सभ्यता और दर्शन को या तो स्वीकार किया गया है या खंडन किया गया है। भारत में मनीषियों ने ज्ञान को खंडन, मंडन स्वीकृति और अस्वीकृति से ऊपर उठ कर देखा है। जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य जी की इस भव्य विशाल मूर्ति के जरिए भारत मानवीय ऊर्जा और प्रेरणाओं को मूर्त रूप दे रहा है। ये प्रतिमा रामानुजाचार्य जी के ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक है। रामानुजाचार्य जी ने संस्कृत और तामिल दोनों को महत्व दिया।

पुजारियों ने मोदी को तिलक लगाया

प्रधानमंत्री मोदी शाम 5 बजे शमशाबाद स्थित 'यज्ञशाला' पहुंचकर यहां चल रहे धार्मिक अनुष्ठान में शामिल हुए हैं। पुजारियों ने उनका तिलक आदि कर उन्हें रुद्राभिषेक में शामिल किया है। धार्मिक अनुष्ठान के बाद उन्होंने 11वीं सदी के संत और समाज सुधारक रामानुजाचार्य की 216 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण कर उसे देश को लोकार्पित किया। स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी अष्टधातु से बनी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी प्रतिमा है। इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है।