नई दिल्ली । राजनीति गलियारों में इस वक्त पुरानी पेंशन योजना और नई पेंशन योजना को लेकर चर्चा हो रही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले महीने कहा था कि सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल किया जाना है। इसके बाद बीजेपी शासित हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों ने भी इसी तरह की मांग करना शुरू कर दिया है। पिछले हफ्ते शिमला में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन देखा गया, जबकि मध्य प्रदेश में राज्य कर्मचारी भीमराव अंबेडकर की जयंती पर 14 अप्रैल को एक बड़े प्रदर्शन के लिए तैयार हैं। गौरतलब है कि दिसंबर 2003 में अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को खत्म कर दिया था। इसके बदले में एक अप्रैल 2004 नई पेंशन योजना लागू की गई थी। एनपीएस को वापस लेने की मांग के विरोध को देखते हुए हिमाचल प्रदेश ने पुरानी योजना को बहाल करने के लिए सरकार के मुख्य सचिव राम सुबाग सिंह के नेतृत्व में एक पैनल का गठन किया है। हिमाचल के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए पिछले सप्ताह विधानसभा में पैनल गठित करने की घोषणा की। इस बीच, राजस्थान के बाद एक और कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़  ने भी अगले वित्तीय वर्ष से पुरानी पेंशन योजना को फिर से शुरू करने की घोषणा करने के लिए तैयार है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि पुरानी योजना पर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से चर्चा की। ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या है पुरानी पेंशन योजना और नई पेंशन योजना में अंतर मुताबिक पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी। वहीं, नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी की सैलरी से 10 फीसदी की कटौती की जाती है। साथ ही इसमें 14 फीसदी हिस्सा सरकार मिलाती है। पुरानी पेंशन योजना में जीपीएफ की सुविधा होती थी, लेकिन नई स्कीम में जीपीएफ की सुविधा नहीं हैष पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के समय की सैलरी की करीब आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी। जबकि नई पेंशन योजना में निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है।